सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, फार्मेसी में तकनीकी शिक्षा परिषद का हस्तक्षेप खत्म
फार्मेसी एजूकेशन में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) का हस्तक्षेप खत्म हो गया है। सर्वोच्च न्यायालय के तीन जजों की खंडपीठ जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस एमआर शाह ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के पक्ष में फैसला सुनाया है। अब फार्मेसी कॉलेज खोलने और कॉलेज में सीटों को बढ़ाने व घटाने का अधिकार सिर्फ पीसीआई के पास रहेगा।
 

सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से एआईसीटीई को झटका लगा है। चूंकि इस फैसले के बाद तकनीकी शिक्षा परिषद के पास फार्मेसी महाविद्यालयों पर नियंत्रण नहीं रहेगा जबकि इससे पूर्व देशभर के फार्मेसी महाविद्यालयों खोलने की मंजूरी और महाविद्यालयों में विद्यार्थियों के दाखिले में एआईसीटीई का दखल रहा है।

फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में पेश अधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए कहा कि फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया अधिनियम की स्थापना वर्ष 1948 में हुई है, जबकि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद अधिनियम की स्थापना वर्ष 1987 में हुई। फार्मेसी महाविद्यालयों में पीसीआई और एआईसीटीई के दोहरे मापदंड व नियंत्रण के कारण पेश आने वाली समस्याओं को देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार ने 3 अक्तूबर 2018 को एक बैठक में इस दोहरे नियंत्रण को समाप्त करने पर चर्चा की थी।

 



दोहरे नियंत्रण में जालसाजी की संभावनाओं और जमीनी स्तर पर भ्रम व दुविधा को खत्म करने के लिए एआईसीटीई के नियंत्रण को खत्म करने और एआईसीटीई के पास केवल सामान्य तकनीकी शिक्षा का ही संचालन को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में पक्ष रखा गया। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद फार्मेसी की डिग्री और डिप्लोमा की संबद्धता के लिए केवल फार्मेसी एक्ट 1948 ही मान्य होगा। वाइस प्रेजिडेंट पीसीआई डॉ. शैलेंद्र सराफ ने इसकी पुष्टि की है। 

यहां से शुरू हुआ था विवाद
देश भर में कुछ फार्मेसी महाविद्यालयों ने पीसीआई के नियमों को दरकिनार कर एआईसीटीई को प्रस्ताव भेज अपने-अपने संस्थानों में मनमर्जी से सीटें बढ़ा ली थीं। इसके चलते यह विवाद पैदा हुआ। इस मामले में वर्ष 2013-14 में उच्च न्यायलय ने फैसला सुनाया था, लेकिन पीसीआई ने उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी जिस पर 5 मार्च 2020 को सुनवाई के बाद फैसला सुनाया गया।

न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस फैसले का असर उन फार्मेसी कॉलेज के विद्यार्थियों पर नहीं पड़ेगा, जो दाखिला ले चुके हैं। उन्हें अपने शिक्षा पूरी करने का पर्याप्त अवसर प्रदान किए जाएंगे। लेकिन जिन महाविद्यालयों ने पीसीआई की मंजूरी के बिना अपने संस्थानों में सीटें बढ़ाई हैं, उन्हें चार सप्ताह के भीतर बढ़ी हुई सीटों के लिए पीसीआई को फ्रेश आवेदन करना होगा।

हिमाचल तकनीकी विवि पर भी पड़ेगा असर
सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का असर हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर पर भी पड़ेगा। वर्तमान में सूबे में एक दर्जन से अधिक फार्मेसी कॉलेज प्रदेश तकनीकी विवि के अधीन चल रहे हैं जहां से तकनीकी विवि को हर साल दाखिले, परीक्षा और महाविद्यालयों की संबद्धता इत्यादि शुल्क के रूप में लाखों की आय प्राप्त हो रही है। इन संस्थानों में सीटें बढ़ाने और घटाने पर तकनीकी विवि का नियंत्रण रहता है। लेकिन नए फैसले से अब पीसीआई ही पूरा नियंत्रण रखेगी।